बस एक बार फिर दस्तक दूँ मन के द्वार पर खुल जाएँ कपाट मन के बस एक बार फिर दस्तक दूँ मन के द्वार पर खुल जाएँ कपाट मन के
इन सपनों की बारात लेकर मिलते हो तुम मुझसे। इन सपनों की बारात लेकर मिलते हो तुम मुझसे।
बंदे तू क्यों है अब पड़ा ? चल उठ खड़ा हो फिर से, देख नया सूरज है निकला। बंदे तू क्यों है अब पड़ा ? चल उठ खड़ा हो फिर से, देख नया सूरज है निकला।
मैं जब बड़ा हो जाऊँगा आपकी , यादों के चश्मे से अपना बचपन देखूँगा ! मैं जब बड़ा हो जाऊँगा आपकी , यादों के चश्मे से अपना बचपन देखूँगा !
आज मुझे जी भर कर निहार लेने दो वीर जी... आज मुझे जी भर कर निहार लेने दो वीर जी...
मन भावन पहेलियां घर परिवार का परमेश्वर पुरस्कार खजाना। मन भावन पहेलियां घर परिवार का परमेश्वर पुरस्कार खजाना।